चलो,
पूरी रात प्रतीक्षा के बाद
फिर एक नई सुबह होगी
होगी न ;
नई सुबह ?
जब आदमियत नंगी नहीं होगी
नहीं सजेंगीं हथियारों की मंडिया
नहीं खोदी जायेगीं नई कब्रें
नहीं जलेंगीं नई चिताएं
आदिम सोच,आदिम विचारों से
मिलेगी निजात
होगी न ;
नई सुबह ?
सब कुछ भूल कर
हम खड़े हैं
हथेलियों में सजाये
फूलों का बगीचा
पूरी रात जाग कर
फिर एक नई सुबह के लिए
होगी न
नई सुबह?
--के.रवीन्द्र
शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010
यादें
पूरी रात जागता रहा
सपने सजाता,
तुम आती थीं जाती थीं
फिर आती फिर जाती ,
परन्तु
यादें करवट लिए सो रही थीं
सुबह,
यादों ने ही मुझे झझकोरा
और जगाया,
जब मै जागा
यादें दूर खड़ी हो
घूर-घूर कर मुझे देखती
और मुस्कुरा रहीं थीं
मैंने कहा
चलो हटो ,
आज नई सुबह है
मै नई यादों के साथ रहूँगा
वे नजदीक आईं
और जोर-जोर से हंसने लगीं
लाख जतन किए
वे गयी नहीं
यादें जाती नहीं
पूरे घर पर
कब्जा कर बैठी हैं
वे जाती नहीं
बस करवट लेकर
सो जाती हैं
कितने खूबसूरत लगते हैं हम
एक कैलेण्डर की तरह
लटके हुए दीवार पर
या फिर
कुत्ते की तरह
अपनी दुम खुजलाने के प्रयाश में
गोल-गोल
बस एक ही दायरे में घुमते हुए
और कभी-कभी
उन फिल्मों तरह
झिलमिलाते रंगों को ओढ़े
जिनका यथार्थ नहीं होता
आदर्श या सिद्धांत बघारते
एक सिगरेट के पॉकिट की तरह
खूबसूरत
अन्दर से ज़हरीले निकोटिन से भरे
कितने खूबसूरत लगते हैं हम
एक कैलेण्डर की तरह
लटके हुए दीवार पर
या फिर
कुत्ते की तरह
अपनी दुम खुजलाने के प्रयाश में
गोल-गोल
बस एक ही दायरे में घुमते हुए
और कभी-कभी
उन फिल्मों तरह
झिलमिलाते रंगों को ओढ़े
जिनका यथार्थ नहीं होता
आदर्श या सिद्धांत बघारते
एक सिगरेट के पॉकिट की तरह
खूबसूरत
अन्दर से ज़हरीले निकोटिन से भरे
कितने खूबसूरत लगते हैं हम
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