एक बुद्धिमान लडकी
सप्ताह में एक दिन
डिग्रियों पर से धूल पोंछ कर
सहेज कर
रख देती है
आलमारी मेंरख देती है
एक बुद्धिमान लडकी
तितलियों की तरह
अब पंख नहीं संवारती
नहीं चहकती
चिड़ियों की तरह
पिता या भाई की आवाज़ पर चिड़ियों की तरह
एक बुद्धिमान लडकी
अब नही देखती आईना
बार-बार
बार-बार
नहीं सम्हालती
अपनी ओढ़नी
नहीं जाती खिड़की के पास अपनी ओढ़नी
बार-बार
एक बुद्धिमान लडकी
चीखती भी है जब कभी
एकांत में
तो अब नहीं लौटती
उसकी आवाज़
उसकी आवाज़
टकरा कर किसी दीवार से
सोख ली जाती है
उसकी आवाजें दीवारों में
एक बुद्धिमान लडकी
सुबह उठती है
बच्चे को दूध पिलाती है नास्ता कराती है
स्कूल भेजती है
और तमाम
धरेलू काम करती है
धरेलू काम करती है
फिर
रात में सो जाती है
रात में सो जाती है
सुबह फिर उठने
डिग्रियों को सम्हाल कर रखने
फिर रात में सो जाने के लिए
एक बुद्धिमान लडकी
सरल सहज शब्द शैली में छिपे गहरे भाव मन को छू जाते हैं...
जवाब देंहटाएंbahut bahut dhanyawad meenakshi ji
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