अमूर्त
Testimonials - Art and Poetry
सोमवार, 19 अक्टूबर 2009
एक
चिड़िया
छोटी
सी
थकी
हरी
भूखी
और
प्यासी
भी
चिंतित
,
ढूंढ
रही
है
छाव
का
एक
टुकडा
।
पहले
उसकी
इन
सारी
चिन्ताओ
की
,
जिम्मेदारी
उठाता
था
जंगल
..... ...... ......,
चिड़िया
:
कहाँ
है
जंगल
-
-
के
रवीन्द्र
1 टिप्पणी:
परमजीत सिहँ बाली
19 अक्टूबर 2009 को 12:54 pm बजे
बहुत सुन्दर रचना!!
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बहुत सुन्दर रचना!!
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