अमूर्त
Testimonials - Art and Poetry
सोमवार, 19 अक्टूबर 2009
एक चिडिया ,
बटोर रही तिनके ।
रचेगी कहीं ,
किसी पेड़ पर
एक घरोंदा ,
फ़िर होंगे चूँ ...चूँ ...करते बच्चे ।
........ .........
चिडिया :
पेड़ कहाँ हैं ?
--
के
रवीन्द्र
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