पूरी रात जागता रहा
सपने सजाता,
तुम आती थीं जाती थीं
फिर आती फिर जाती ,
परन्तु
यादें करवट लिए सो रही थीं
सुबह,
यादों ने ही मुझे झझकोरा
और जगाया,
जब मै जागा
यादें दूर खड़ी हो
घूर-घूर कर मुझे देखती
और मुस्कुरा रहीं थीं
मैंने कहा
चलो हटो ,
आज नई सुबह है
मै नई यादों के साथ रहूँगा
वे नजदीक आईं
और जोर-जोर से हंसने लगीं
लाख जतन किए
वे गयी नहीं
यादें जाती नहीं
पूरे घर पर
कब्जा कर बैठी हैं
वे जाती नहीं
बस करवट लेकर
सो जाती हैं
कई रंगों को समेटे एक खूबसूरत भाव दर्शाती बढ़िया कविता...बधाई
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