रविवार, 18 सितंबर 2011

बुद्धिमान लडकी


एक बुद्धिमान लडकी 
सप्ताह में एक दिन 
डिग्रियों पर से धूल पोंछ कर 
सहेज कर
रख देती है 
आलमारी में

एक बुद्धिमान लडकी 
तितलियों की तरह 
अब पंख नहीं संवारती 
नहीं चहकती
चिड़ियों की तरह 
पिता या भाई की आवाज़ पर 

एक बुद्धिमान लडकी 
अब नही देखती आईना
बार-बार
नहीं सम्हालती
अपनी ओढ़नी 
नहीं जाती खिड़की के पास 
बार-बार

एक बुद्धिमान लडकी 
चीखती भी है जब कभी 
एकांत में 
तो अब नहीं लौटती
उसकी आवाज़ 
टकरा कर किसी दीवार से 
सोख ली जाती है 
उसकी आवाजें 
दीवारों में 

एक बुद्धिमान लडकी 
सुबह उठती है 
बच्चे को दूध पिलाती है नास्ता कराती है 
स्कूल भेजती है 
और तमाम
धरेलू काम करती है 
फिर
रात में सो जाती है 
सुबह फिर उठने 
डिग्रियों को सम्हाल कर रखने 
फिर रात में सो जाने के लिए 
एक बुद्धिमान लडकी
 

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