बुधवार, 30 सितंबर 2009















रवीन्द्र के चित्रों की सांकेतिकता प्रशंसनीय अनूठी है|
-आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी, उज्जैन
समीक्षक










रवीन्द्र की इन रेखाओं में इस युग का यथार्थ अपनी संपूर्ण चेतना के साथ विद्यमान है | गजब का संतुलन और अन्तः संगीत वाह !
-कैलाश मंण्डलेकर
व्यंगकार

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर । स्वागत है ।

    कृप्या वर्ड वेरीफिकेशन हटा दे, टिप्पणी करने में सुविधा होती है ।



    गुलमोहर का फूल

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  2. बहुत सुन्दर
    आपका स्वागत है
    शुभकामनाएं


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